Friday, March 9, 2012

Computer : An Introduction कम्प्यूटर : एक परिचय


Computer : An Introduction कम्प्यूटर : एक परिचय
प्रवेश (Introduction)
          कम्प्यूटर का प्रयोग विभिन्न सूचनाओ को सुचारू एवं सुगठित रूप से संगृहीत करने तथा आवश्यकता अनुसार उनका उपयोग विविध रूपों में करने के लिए किया जाता है है.आज कम्प्यूटर के माध्यम से बैंको में काम काज शुद्धता से और तेजी से हो रहा है. बींसवी सदी के उत्तरार्द्ध में इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटरो के निर्माण ने तो इस विकास की दशा बदल दी है. सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में आज कम्प्यूटर के बिना जीवन की कल्पना करना  शायद बेमानी होगा.

कम्प्यूटर क्या है ? (What is a computer)
वर्तमान में प्रचलित कम्प्यूटर का प्रारूप
         कम्प्यूटर एक ऐसी स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो हमारे द्वारा बताए गये प्रोग्राम के नियंत्रण में आंकडो का संसाधन तेजी से एवं परिशुद्धता से करते हुए अर्थपूर्ण सूचनाओ का सृजन करती है. निर्देशों के समूह को प्रोग्राम कहा जाता है. कोई भी समस्या जो क्रमिक कार्यविधि द्वारा हल की जा सकती है वह कम्प्यूटर द्वारा भी हल की जा सकती है.

कम्प्यूटर का पुरा नाम à
C à CALCULATION à गणना करना
O à OPRATING à संचालन करना
M à MEMORY à स्मृति
P à PRINT à छपाई
U à UPDATE à परिवर्तन
T à TRADE à व्यापार
E à EDUCATION à शिक्षा
R à RESERCH à खोज

कम्प्यूटर का इतिहास (HISTORY OF COMPUTER)

        गणना के लिए सर्वप्रथम उपयोग में आने वाला उपकरण एबेकस था जिसका अविष्कार चीन में हुआ. साधारण जोड़ बाकी गुना भाग रूप गणना कर सकने वाले यंत्रो का अविष्कार १६ वीं शताब्दी में हो चका था. फ्रांसीसी दार्शनिक ब्लेज पास्कल ने एक मशीनी केलकुलेटर का निर्माण 1642 में किया था. जो दशमलव प्रणाली की जोड़-बाकी कर सकता था. इसे पास्कलिन नाम दिया गया. उसके बाद जर्मनी के वैज्ञानिक लिबनिज ने इसी में कुछ परिवर्तन किया जिससे गुना एवं भाग भी कर पाना सम्भव हुआ.
चार्ल्स बैबेज
          कम्प्यूटर के विकास का इतिहास सन् १८३० में कैम्ब्रिज इंग्लैण्ड में चार्ल्स बैबेज के स्वचालित मैकेनिकल संगणक के निर्माण के प्रयास से प्रारम्भ हुआ. १९ वीं शताब्दी में चार्ल्स बैबेज ने पहले कम्प्यूटर की संकल्पना की जो स्वचालित था. इसे नाम दिया गया डिफरेंस इंजिन . इसका उद्देश्य गणितीय तालिकाओं की स्वचालित गणना करना था.
              इसी क्रम में बैबेज ने एक और गणना यंत्र का निर्माण किया जिसे कहा गया एनेलेटिकल इंजिन, इस यंत्र की विशेषताओं के कारण इसे हम पहला सामान्य उपयोग करने वाला कम्प्यूटर कह सकते है. इसकी संरचना आज के कम्प्यूटरो की संरचना का आधार है. इनका सर्वप्रथम व्यावसायिक उपयोग अमेरिका की १८९० की जनगणना में हुआ था.
             बैबेज का सम्भवत: सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान था उन्होंने एक ऐसी तकनीकी प्रदान की जिससे प्रोग्राम में प्रचालनो की क्रमबद्धता को स्वचालित तरीके से बदला जा सकता है. आज की बात करें तो इन्होने सप्रतिबंध शाखा प्रचालन के विचार की कल्पना की थी. इसके लिए दशमलव प्रणाली के ५० अंको वाली १००० संख्याओ का संग्रह करने की व्यवस्था थी. बैबेज के अनुसार यह मशीन जोड़ने के लिए एक सैकंड तथा गुणा करने के लिए एक मिनट का समय लेती . परन्तु इसका आकार इतना विशाल था कि मात्र कुछ हिस्सा हि वास्तविक रूप ले पाया.
                  १९३७ में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के भौतिक शास्त्री हॉवर्ड आइकन ने पहले वैधुत-यांत्रिक कम्प्यूटर कि कल्पना कि. आई बी एम के सहयोग से १९४४ में पहला कम्प्यूटर HARWARD MARK I  बाजार में आया. यह कम्प्यूटर ५१ फुट लम्बा और ८ फुट ऊँचा था . इसमें ०.७५ मिलियन अवयव लगे थे. इसमें २३ अंको वाली दशमलव प्रणाली कि ७२ संख्याओं का संग्रह किया जा सकता था. इसमें पंच कार्डों के स्थान पर पंच पेपर टेप का उपयोग किया गया था.

इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर (Electronic Computer)
               यांत्रिक कम्प्यूटर में दो कमियाँ थी प्रथम इसकी कार्यगति सीमित थी क्योंकि इसमें कि सारे हिस्सों कि कार्य गति भी सीमित थी. द्वितीय , यांत्रिक कलपुर्जो के कारण अंकीय सूचनाओं का संचार विश्वसनीय नहीं होता था, इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर में गतिशीलता मात्र इलेक्ट्रॉन्स की होती है.
           इस तकनीकी पर आधारित प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर के निर्माण १९३० के दशक के अंत में जॉन वी. एटनसोफ द्वारा किया गया. सर्वाधिक मान्य प्रथम GENERAL PURPOSE ELECTRONIC COMPUTER था इनिएक जिसे बनाया था जॉन मचली एवं जे. प्रेस्पर एकर्ट ने. इसका वजन ३० तन था और इसमें १८००० से अधिक वैक्यूम ट्यूबो का उपयोग हुआ था. इसकी कार्यगति का अनुमान हम इस बात से लगा सकते है  कि मार्क-१ कम्प्यूटर को जिस कार्य को करने में तीन सैकंड का समय लगता था उसे इनिय्क तीन मिली सैकंड में पुरा कर देता था. इसके कुछ समय बाद अन्य कम्प्यूटर जैसे एडवेक, MANCHESTER MARK-1 इत्यादि का निर्माण हुआ.

कम्प्यूटर पीढ़ी

प्रथम पीढ़ी (१९४६-५५)
  इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में वैक्यूम का प्रयोग किया जाता था.
इनकी प्रोग्रामिंग का वस्तुत: कठिन थी तथा यह स्टोर प्रोग्राम के सिद्धांत पर कार्य करते थे.
इस पीढ़ी का मुख्य कम्प्यूटर इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एण्ड कैलकुलेटर (ENIAC) जो एकर्ट व मैकली द्वारा विकसित किया गया था.
द्वितीय पीढ़ी (१९५६-६५)
यह आकार में छोटा था. तथा प्रोसेंसिंग कि गति तेज थी
इसमें ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया था.
इसमें असेम्बली भाषा का प्रयोग किया गया था.

तृतीय पीढ़ी (१९६६-७५)
इसकी प्रोसेसिंग कि गति व द्वितीय पीढ़ी से बढा व तेज होता है.
इसमें इंटीग्रेटेड सर्किट का प्रयोग किया गया था.
इसमें कुछ स्तरीय भाषा का प्रयोग किया गया था.
प्रथम उपस्तरीय भाषा का नाम फोरट्रान था.

चतुर्थ पीढ़ी (१९७५-८५)
इसकी प्रोसेसिंग कि गति अबतक के सभी पीढ़ीयों के कम्प्यूटर से तेज थी
इसमें LSIC  का प्रयोग किया गया था.
इसमें कई उच्च स्तरीय भाषाओँ का प्रयोग किया गया था. C, C++
इसमें माइक्रो चिप का प्रयोग किया गया था.प्रथम माइक्रोचिप सन् १९७१ में इनटेल कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया .

पंचम पीढ़ी (१९८५ से वर्तमान तक)
आप सभी क्षेत्रो में पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटर का प्रयोग देख रहे है जिनकी प्रोसेसिंग कि गति व भण्डारण क्षमता सबसे अधिक है.
Newer Post Older Post Home